ड्राइवर स्ट्राइक दोबारा: हिट एंड रन कानून वापस न लेने पर आज मध्यरात्रि से स्टेयरिंग छोड़ो आंदोलन शुरू

Jan 9, 2024 - 10:10
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ड्राइवर स्ट्राइक दोबारा: हिट एंड रन कानून वापस न लेने पर आज मध्यरात्रि से स्टेयरिंग छोड़ो आंदोलन शुरू

ड्राइवर स्ट्राइक दोबारा: हिट एंड रन कानून वापस न लेने पर आज मध्यरात्रि से स्टेयरिंग छोड़ो आंदोलन शुरू ।

भारत में ट्रांसपोर्ट स्ट्राइक एक आम घटना है। हर साल, देश के विभिन्न हिस्सों में चालक और परिचालक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल करते हैं। इन हड़तालों से आम जनता को काफी परेशानी होती है। स्ट्राइक के बहुत से कारण होते है परंतु इस बार सरकार के खिलाफ हिट एंड रन कानून वापस लेने के लिए है । पिछले सप्ताह हुए देशव्यापी हड़ताल खत्म करने के लिए सरकार ने आश्वाशन दिया था कि नया कानून वापस लिया जाएगा। परंतु ऐसा न होने की वजह से हड़ताल फिर शुरू हो रहा है।

सुरक्षा और सुविधाओं में सुधार की मांग चालक और परिचालक अक्सर करते हैं। 

सरकारी नीतियों में बदलाव की मांग: बस, ट्रक चालक और परिचालक अक्सर सरकारी नीतियों में बदलाव की मांग करते हैं। परंतु ट्रासपोर्टरों का मानना था कि कानून बेहद सख्त है इससे सभी प्रकार के छोटे-बड़े वाहन ड्राइवर बुरी तरह प्रभावित होंगे। कोई भी ड्राइवर एक्सीडेंट जानबूझकर नहीं करता है और मौके पर यदि ड्राइवर पीड़ित की मदद करने रुकता है तो भीड़ उसपर जानलेवा हमला कर सकती है। इस केस की वजह से कानूनी प्रक्रिया काफी लंबी और परेशान करने वाली बनी है. निर्धारित जुर्माना 7 लाख का है वो ड्राइवर के लिए काफी ज्यादा है। कई बार कोहरे या मौसम के संबंधी अन्य कारणों की वजह से भी एक्सीडेंट होते हैं।

भारत में सट्राइक के कई प्रभाव होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:

आम जनता को परेशानी: स्ट्राइक से आम जनता को काफी परेशानी होती है। उन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए अन्य तरीकों का इस्तेमाल करना पड़ता है।

आर्थिक नुकसान: स्ट्राइक से अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होता है। व्यवसायों को नुकसान होता है और लोगों की उत्पादकता प्रभावित होती है।

सामाजिक अशांति: स्ट्राइक से सामाजिक अशांति भी हो सकती है। अगर हड़ताल लंबे समय तक चलती है, तो इससे लोगों में असंतोष बढ़ सकता है।

भारत में स्ट्राइक का समाधान

भारत में बस स्ट्राइक के समाधान के लिए सरकार और बस चालक और परिचालकों के बीच आपसी समझ और सहयोग की आवश्यकता है। सरकार को चालक और परिचालकों की मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और उनके हित में निर्णय लेना चाहिए। वहीं, बस, ट्रक चालक और परिचालकों को भी समझदारी से काम लेना चाहिए और हड़ताल के रूप में अपनी मांगों को मनवाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

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